पर्यावरण प्रदूषण पर निबन्ध कैसे लिखें, समस्या और समाधान
आज के इस आर्टिकल में हम पर्यावरण प्रदूषण पर निबन्ध कैसे लिखें की जानकारी पढ़ने वाले हैं यदि आप पर्यावरण प्रदूषण पर निबन्ध लिखना चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए।
मानव भौतिक परिस्थितियों की उपज है। इन भौतिक परिस्थितियों का दूसरा नाम पर्यावरण अथवा वातावरण है। स्वस्थ वातावरण मानव को व्यक्तिगत व सामूहिक रूप से स्वस्थ बनाता है।
दूषित वातावरण इसके विपरीत उसे हानि पहुंचाता है। सृष्टि के समस्त जीव अपने जीवन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए संतुलित पर्यावरण की अपेक्षा करते हैं।
संतुलित पर्यावरण में सभी जीवनोपयोगी तत्व निश्चित अनुपात में पाया जाते है। किंतु जब पर्यावरण में उपस्थित एक अथवा अन्य तत्वों की मात्रा अपने निश्चित अनुपात से कम अथवा अधिक हो जाती है अथवा पर्यावरण में विषैले तत्वों का समावेश हो जाता है।
तो वातावरण प्राणी जगत के लिए घातक सिद्ध होता है। पर्यावरण यही घातक परिवर्तन प्रदूषण कहलाता है।
पर्यावरण प्रदूषण की समस्या :
इस समय वातावरण प्रदूषण की समस्या उग्र रूप धारण करती चली जा रही है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए प्रत्येक नागरिक का कुछ उत्तरदायित्व है। वह कौन सी समस्या है जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा इसके बारें में जानना आपको जरुरी है –
प्रदूषण के प्रकार :
- वायु प्रदूषण
- जल प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
प्रदूषण के अनेक रूप हैं किंतु उनकी सार्वजनिक व्यापकता जलवायु तथा ध्वनि में है ।
वायु प्राणियों का जीवन है। मानव तथा अन्य जीव जंतु के लिए इस प्राण वायु का शुद्ध रूप में मिलना अत्यंत आवश्यक है। इसके बिना उसका जीवन कहना कठिन है तथा वायु प्रदूषण का उसके ऊपर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।
वायु प्रदूषण :
भूपटलीय तोड़-फोड़, ज्वालामुखी के विस्फोट, लकड़ी, कोयले और खनिज तेल के जलने,औद्योगिक संस्थाओं से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड आदि गैस से निकलने के कारण वायु प्रदूषण होता है।
ये गैसे वर्षा के जल में मिलकर गंधक का तेज़ाब बनाती है और जीवों को हानि पहुंचाती है। इसके अतिरिक्त, वायु प्रदूषण धुंए से भी होता है। वायु प्रदूषको में क्लोराइडो का भी विशेष स्थान है। यह क्लोराइड एलुमिनियम के कारखानों से अधिक प्राप्त होता है।
इन सभी प्रदूषण से मनुष्य के अंदर एलर्जी उत्पन्न होती है जिसका उपचार करना कठिन हो जाता है।
जल प्रदूषण :
वायु की भांति जल भी मानव के लिए आवश्यक तत्व है।
पेड़ -पौधे तथा सभी प्राणी जल से अपने पोषक तत्व ग्रहण करते हैं । जल के अंदर में कार्बनिक- अकार्बनिक पदार्थ, तत्व तथा गैसे पाई जाती है।
इनका असंतुलित रूप से हो जाना जल को प्रदूषित कर देता है।
जल प्रदूषण अनेक प्रकार से हो जाता है। जैसे रोग उत्पादक कीटाणु, कल- कारखानों से निकले हुए कीटनाशक पदार्थ व रासायनिक खाद, शहरी नदियों का पानी आदि।
बड़े-बड़े नगरों में लोग गंदे पदार्थ को नदियों और नालों में बहा देते हैं, जिसके कारण उनका पानी हानिकारक हो जाता है। इस प्रकार के पानी को पीने से मनुष्य को पीलिया जैसे रोग हो जाते हैं।
ध्वनि प्रदूषण :
जल तथा वायु की तरह ध्वनि भी प्रदूषित होकर श्रवणेन्द्रिय को प्रभावित करती है। लाउडस्पीकर,औद्योगिक संस्थाओं की मशीनों का शोरगुला तथा विविध प्रकार के स-वाहनों की कर्कश आवाज ध्वनि प्रदूषण के मुख्य कारण होती हैं।
इस प्रकार के प्रदूषण से श्रवण शक्ति का ह्रास होता है, मानसिक झनझनाहट उत्पन्न होती है और सिर दर्द होने लगता है। आधुनिक वैज्ञानिक युग में परमाणु शक्ति का उत्पादन और नाभिकीय विखंडित आदि जल, वायु तथा ध्वनि आदि के प्रदूषण को बढ़ाते हैं।
इनके घातक परिणामों से वर्तमान प्राणी जगत प्रभावित होगा।
प्रदूषण से छुटकारा पाने के समाधान ?
प्रदूषण की समस्या से छुटकारा पाने के लिए निम्नलिखित उपयोग को प्रयोग में लाना अति आवश्यक है-
- वन महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत वृक्षारोपण किया जाए और वृक्षों के विनाश पर रोक लगाई जाए।
- आवासीय स्थानों पर गंदगी के ढेर न लगने दिए जाएं ।
- नगरों तथा गांवों में समुचित सफाई की जाए और गंदगी को सड़को तथा गालियों में इकट्ठा न होने दें।
- पेयजल को प्रदूषण से प्रदूषित होने से बचाएं।
- सरकार को चाहिए कि ऐसे औद्योगिक संस्थान, जिनसे जल, वायु तथा ध्वनि प्रदूषण होता है, उन्हें आवासीय क्षेत्रों से बाहर स्थापित किए जाए।
- प्लास्टिक पर बैन किया जायें। क्योकिं इसके अवशेस लम्बे समय तक यथवात रहता है।
केंद्र सरकार इस समय में प्रदूषण समस्या के निराकरण के उपाय कर रही है कारखानों और खनिज पदार्थों में प्रदूषण रोकने के लिए भारत सरकार ने लखनऊ में औद्योगिक विष विज्ञान संस्थान तथा अहमदाबाद में राष्ट्रीय संस्था की स्थापना की है।
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अंतिम शब्द :
आशा करता हूँ की आपको पर्यावरण प्रदुषण पर निबंध कैसे लिखें जानकारी सही लगी होगी।
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